મિત્રો,
આજે એક ઈ-મેઈલ આવ્યો. Spam માં હતો પણ તેનું શિર્ષક જોઈને વાંચવાનું મન થયું. આપણાં દેશમાં કાયદો અને વ્યવસ્થા કેટલી હદે કથળ્યાં છે, બાહુબલીઓ તથા સુરક્ષા કર્મીઓની સાંઠ ગાંઠ કેવી વધી છે કે જેને લીધે સામાન્ય નાગરીકને જીવવું યે દોહ્યલું થઈ પડ્યું છે તે બાબતને ઉજાગર કરતી સત્ય ઘટના છે. મને થયું કે આપ પણ વાંચો એટલે આપની સાથે વહેંચુ છું.
बाहुबलियों के लिये जंगल का कानूनी राज,सरकारी महकमे की सौगात के रूप में!
हमारे देश में कानून व्यवस्था की क्या हालत है इस मामले को देखकर साफ समझ में आता है कि भ्रष्टाचार किस हद तक सरकारी व्यवस्था की जड़ तक पहुँच चुका है, देश में आम इंसान को लोकतांत्रिक ढाँचे में रहते हुये ईमानदारी से इज्जत भरी जिन्दगी जीने के लिये कानून व्यवस्था बनाई गई, मगर इस कानून व्यवस्था को बनाये रखने के लिये जिन अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई वे भ्रष्टाचार में कुछ इस तरह डूबे हुये हैं कि कानून के अदालती फरमानों को भी नकार देने में अपनी शान समझते हैं| जिसका उदाहारण हमारे संगठन के सामने आया संबंधित मामला, जिसमें भू-माफिया मकसूद अहमद पुत्र मसूद खान ने विधवा सलमा बेगम पत्नी स्व. निसार अहमद पता – झूँसी कोहना, थाना झूँसी, जिला इलाहाबाद, उ.प्र. की जमीन पर 1999 में कब्जा कर लिया और उसे अपनी जगह बताने लगा जिसके खिलाफ विधवा ने भाग दौड़ करते हुये किसी तरह अदालत में मुकदमा दायर किया जिसमें भू-माफिया ने एक तरीके से सच्चाई का और इंसाफ का मजाक उड़ाते हुये अदालत को गुमराह करते हुये यह बयान दिया कि यह जमीन मेरी नहीं अमर सिंह की है| जबकि उस जगह के कागजात ग्राम पंचायत द्वारा जारी दस्तावेजों के अनुसार विधवा महिला के पति के नाम हैं|
उस वक्त अदालत ने वकील का पैनल बनाकर जगह का सर्वेक्षण करवाया जिसका निर्णय भी विधवा के पक्ष में आया इस सब के बावजूद मई २०१२ में भू-माफिया ने दूसरे भूमाफिया गिरोह खुर्शीदा बेगम पुत्री स्व० सिद्दीक खान को उसके भी महबूब आलम व खुर्शीद आलम पुत्र गण स्व० सिद्दीक खान निवासी गण झूँसी कोहना थाना झूँसी, इलाहाबाद व मोहम्मद युसूफ पति खुर्शीदा बेगम निवासी साजी का पूरा, नैनी, इलाहबाद की गवाही में फर्जी तरीके से उस जगह को तथा २० x ४० फीट निर्विवादित निर्मित जगह को भी बेच दिया तो सभी भूमाफिया मिलकर उस जगह पर निर्माण कार्य शुरू करवाया जिसका विरोध करने पर विधवा को व उसके पुत्रों (इसरार अहमद, मोहम्मद अहमद, इफ़्तेख़ार अहमद व एनुद्दीन अहमद) व पोतों को जान से मारने की धमकियाँ दी गईं व आज भी दे रहें हैं |
जिसकी शिकायत थाने में ली ही नहीं गई जिसका साफ मतलब है कि इलाहाबाद का यह झूँसी थाना किस कदर अदालती फरमानों का मजाक उड़ाता है उत्तर प्रदेश सरकार को ठेंगा दिखाता है और भ्रष्टाचार में डूब कर इन भू-माफियाओं का साथ देते हुये किसी भी प्रकार की F.I.R. या शिकायत दर्ज नहीं करता और अपने थाना क्षेत्र में रहने वाले निवासियों को जंगल के कानून के सहारे छोड़ देता है जहाँ सिर्फ और सिर्फ बाहुबलियों का राज चलता है, मतलब जो बलवान है वही जी सकता है बाकि सब सिर्फ गुलाम बन कर रहें देश की कानून व्यवस्था चाहे गड्डे मं जाये, हमें कोई परवाह नहीं यह है इस थाने के SO की सोच किसी तरह विधवा महिला ने भागदौड़ करके ऊपर के अधिकारियों से मदद की गुहार लगाते हुये F.I.R. दर्ज करवाई|
जिसके बारे में समाचार पत्रों में भी छपा आखिर इन भू-माफियाओं को हवालात की हवा खाने को मिली, मगर जैसे ही जमानत करके यह बाहर आये उन्होंने उसी वक्त तथा दिनांक ०७-०१-२०१३ को शाम में पीड़ित के घर में जबरन घुसते हुये धमकियाँ दीं और कहा “एक-एक को जान से मार दिया जायेगा और इस खानदान का नामोनिशान मिटा दिया जायेगा” जिससे घबराकर थाने में फिर शिकायत की गई मगर इन भ्रष्ट थाने के अधिकारियों ने इस शिकायत को लेने से इंकार कर दिया| इन SO श्री. धर्मेन्द्र कुमार – मो.- 09454402830 और SSP रोहित कुमार मो. 09454400248 को जब तक देशवासी यह नहीं कहेंगे कि “भई बहुत हो गया, रिश्वतखोरी और मुजरिमों की दलाली का धंधा, अब बंद करो वाल्मीकी बनो, अपनी रामायण खुद लिखो और बेगुनाहों को इंसाफ दिलाने का काम शुरू करो,जब देशवासी थानेदार से कहेंगे कि आपकी आने वाली पीढी उस खुशहाल भारत में जीते हुये आपके द्वारा देश के प्रति दिये गये योगदान का गुणगान करेगी, तभी यह देश प्रगति कर सकेगा| अब हमें देश को बदलना है एक नई आजादी देश में लानी है, अपने काम के प्रति वफादारी ऐसी निभाओ कि एक स्त्री भी रात के 12:00 बेझिझक थाने में आकर शिकायत दर्ज करने की हिम्मत कर सके और यह सब होगा आपके द्वारा उठाये गये अभूतपूर्व कदम से|
इस मामले में उच्च न्यायालय के कर्मचारी कुछ इस कदर लेन-देन का खेल Civil Court के कर्मचारियों के साथ मिलकर खेलते हैं कि 1999 में दाखिल भू-माफिया के खिलाफ शिकायत पर 14 वर्ष तक न तो Stay मिल पाया है न हि मुकदमे का कोई फैसला हुआ है, जबकि कागजातों को देखकर एक १०वीं पास बच्चा भी बता सकता है कि अदालत के अनुसार थाने के अधिकारियों को भू-माफियाओं के खिलाफ क्या कार्यवाही करनी चाहिये, थानेदारों को भू-माफियाओं को तड़ीपार करते हुये पीड़ित के घर के आस-पास भी न दिखाई देने वाली कार्यवाही करनी चाहिये| यहाँ अदालती कर्मचारियों ने भ्रष्टाचार करते हुये 14 वर्ष से अभी तक कोई निर्णय नहीं होने दिया | जो पूरी तरीके से इन कर्मचारियों को कठघरे में खड़ा करता है जिसकी अगर जाँच की जाये तो यह सारे कर्मचारी लाईन से अपने काम के प्रति लापरवाही के दोषी पाये जायेंगे और देखा जाये तो अगर इस मामले में किसी भी प्रकार का खून बहता है तो उसके हत्या के मुख्य दोषी यह अदालती कर्मचारी और थाने के SO ही मुख्य रूप से है क्योंकि इन्हीं लोगों के ऊपर जिम्मेवारी है कानून को ईमानदारी से लागू करने की|
हमारी संबंधित अधिकारियों पुलिस कमिश्नर, गृहमंत्री व मुख्यमंत्री से अपील है कि कुछ होने के बाद कार्यवाही करने से बेहतर है कि कुछ होने के पहले कार्यवाही करें, कानून व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त बनायें कम से कम हर अधिकारी अपने क्षेत्र की जनता को तो न्याय देने की व्यवस्था कर सकें|
धन्यवाद
संगठन को मामले से संबंधित दिया गया आवेदन पत्र
थानेदार, DIG को पीड़ित द्वारा डाक से भेजा गया आवेदन पत्र
समाचार पत्रों में पीड़ित द्वारा दिये गये ब्यान की कटिंग
सोनिका शर्मा
09146525303
भ्रष्टाचार विरूद्ध भारत जागृति अभियान